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कर्मचारी निरीक्षण एकक

कर्मचारी निरीक्षण एकक(एसआईयू) की स्थापना 1964 में प्रशासनिक दक्षता के अनुरूप सरकारी संगठनों के स्टाफिंग में मितव्यता को सुरक्षित करने और सरकारी कार्यालयों और सरकारी अनुदानों पर पूरी तरह से या काफी हद तक निर्भर संस्थानों में कार्यनिष्पादन मानकों और कार्य मानदंडों को विकसित करने के उद्देश्यों के साथ की गई थी। वैज्ञानिक और तकनीकी संगठनकर्मचारी निरीक्षण एकक के दायरे में नहीं आते हैं, लेकिन संबंधित विभाग के प्रमुख द्वारा गठित एक समिति,कर्मचारी निरीक्षण एकक(एसआईयू) के एक प्रतिनिधि के रूप में कोर सदस्य के रूप में, ऐसे संगठन का अध्ययन करती है।

वित्तीय सलाहकार (एफए) व्यय विभाग में कर्मचारी निरीक्षण एकक (एसआईयू) और अन्य मंत्रालयों/विभागों/कार्यालयों/संगठनों के बीच मुख्य कड़ी हैं। एसआईयू द्वारा स्टाफिंग अध्ययन के सभी अनुरोध विभागों में संबंधितवित्तीय सलाहकार के माध्यम से भेजे जाते हैं। एसआईयू स्टडी टीम द्वारा 'ऑन द स्पॉट' कार्य मापन अध्ययन के बाद अध्ययन रिपोर्ट जारी की जाती है जिसमें संगठन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा और एसआईयू की मूल्यांकन रिपोर्ट के प्रावधान के अंतिम रूप शामिल है। इस संबंध में निर्देशों के अनुसार एसआईयू की अंतिम रिपोर्ट को तीन महीने की निर्धारित अवधि के भीतर संबंधित संगठन द्वारा कार्यान्वित किया जाना अपेक्षित है।

सभी अधिकार आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के पास सुरक्षित हैं।

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